Rajesh rajesh

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लेखनी प्रतियोगिता -13-Nov-2022 बबीता की मां का आंचल

बलवंत के माता पिता का स्वर्गवास होने के बाद बलवंत अपने टूटे-फूटे मकान में अकेला रहता था। बलवंत का विवाह उसके दूर के रिश्तेदारों ने सुलोचना नाम की लड़की करवाया था।


 बलवंत की रोजी-रोटी थी, कि सुबह जल्दी उठकर अपनी साइकिल से सब्जी मंडी पहुंचना और ट्रक से सब्जी के भारी भारी बोरे उतारना। सब्जी के ट्रक खाली करने के बाद जो भी बलवंत को थोड़ी बहुत मजदूरी मिलती थी। उसी से वह अपने घर का खर्चा चलाता था।

 सब्जी मंडी गांव से दूर शहर के बस अड्डे के पास थी। बलवंत  जब भी अपनी बीमारी की वजह से सब्जी मंडी नहीं जा पाता था, तो उसे एक टाइम का खाना खाना भी मुश्किल हो जाता था।

 सुलोचना बहुत ही समझदार और सुलझी हुई महिला थी। वह अपने बलबूते पर गांव के जमीदार से गाय भैंस खरीदने के लिए कर्ज लेती है। और अपनी मेहनत ईमानदारी लगन से गाय भैसों का दूध बेचना शुरु कर देती है। उसे दूध से जो भी मुनाफा होता है, उससे पहले गांव के जमीदार का कर्ज उतारती है। फिर सबसे पहले अपना टूटा फूटा मकान बनाती है। और दूध के व्यापार से बचत करके और गाय भैंस खरीद लेती है। और अपनी हिम्मत बुद्धिमानी से घर की गरीबी खत्म कर देती है।

  दोसाल के बाद सुलोचना एक पुत्र को जन्म देती है। बलवंत अपने पुत्र को गोदी में उठाकर सुलोचना से कहता है कि "तुमने मेरे जीवन में खुशियां भर दी है।"बलवंत का जीवन अपनी पत्नी सुलोचना और बेटे बलराज के साथ खुशी से बितरहा था। लेकिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से बलवंत की मृत्यु हो जाती है। 

सुलोचना अपने बेटे को अच्छे संस्कारों के साथ पाल पोस कर बड़ा कर देती है। बलराज के सामने जब भी कठिन परिस्थितियां आती थी, तो वह अपनी मां की गोदी में सर रखकर लेट जाता था। और बलराज की मां बलराज का सर दबाते हुए अपनी ममता उस पर उडेलती रहती थी। और उससे ममता भरी बातें करती रहती थी। बलराज अपनी मां के धोती के आंचल से अपना चेहरा ढक कर लेटा रहता था। मां की गोदी में बलराज को बहुत सुकून मिलता था। बलराज अपनी मां और गांव के लोगों के साथ अपना जीवन बहुत खुशी और सुकून से बिता रहा था। 

बलराज पढ़ाई पूरी करने के बाद शहर में नौकरी करने जाता है। शहर में कंपनी की तरफ से बलराज को स्टाफ क्वार्टर रहने के लिए मिल जाता है। बलराज की कंपनी में उसके साथ बबीता नाम की एक लड़की भी काम करती थी। बबीता के परिवार में उसकी मां भाई भाभी थे।

 लंच में बबीता और बलराज साथ ही खाना खाते थे। कुछ ही दिनों में बलराज और बबीता एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं। जब कभी ऑफिस की छुट्टी होती थी, तो बलराज कभीकभीबबीता के घर उसके परिवार वालों से मिलने जाता था। बबीता का परिवार भी बलराज को पसंद करता था। 

बलराज हर  दो महीने के बाद पैसा इकट्ठा करके अपनी मां से मिलने गांव जाता था। एक दिन बलराज बबीता और उसकी मां को अपनी मां से मिलवाने अपने गांव लेकर जाता है। गांव में बबीता बलराज के घर पर चूल्हे पर सब्जी रोटी पकाती है। बलराज बलराज की मां और बबीता की मां साथ में खाना खाते हैं। उसी समय बलराज की मां कहती है "अगर बबीता को मैं अपने घर की बहू बना लूं तो तुम्हें कोई एतराज तो नहीं।"बलराज और बबीता की शादी की बात सुनकर बबीता की मां खुश हो जाती है, और खुशी से दोनों की शादी के लिए हां कह देती है। 

बलराज से शादी के बाद बबीता गांव में बलराज की मां के साथ बहुत खुशी से रहती है। शादी के  एक वर्ष बाद बबीता एक पुत्र को जन्म देती है। यह खुशखबरी बलराज की मां बलराज को फोन करके देती है। बलराज कंपनी से छुट्टी लेकर  एक सप्ताह के लिए गांव आता है। और  एक सप्ताह अपने परिवार के साथ हंसी खुशी बिता कर दोबरा अपनी नौकरी पर चला जाता है।

 जब बबीता के भाई भाभी बबीता से मिलने उसकी ससुराल जाते थे, तो वहां का माहौल बहुत खुशी का हो जाता था। बलराज के जीवन में चारों तरफ से खुशियां आ गई थी। एक दिन अचानक बलराज के पास बबीता का फोन आता है और बबीता कहती है कि "तुम्हारी मां का देहांत हो गया है।"

बलराज उसी समय बबीता के भाई और बबीता की मां के साथ अपने गांव जाने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंचता। बलराज उदास दुखी बबीता की मां और भाई के साथ अपने गांव जाने के लिए बेंच पर बैठकर ट्रेन का आने का इंतजार कर रहा था। उसी समय किसी आदमी का फोन आता है, कि तुमने गांव आने के लिए अभी तक  ट्रेन पकड़ी या नहीं।

 बलराज फोन पर बातें करते-करते रेलवे ट्रैक के करीब पहुंच जाता है। और उसी समय तेज  स्पीड सेआती हुई ट्रेन उसे अपनी चपेट में ले लेती है। बलराज प्लेटफार्म पर तड़पने लगता है। जल्दी से रोते हुए भागकर बबीता की मां बलराज का सर उठाकर अपनी गोदी में रख लेती है। और जल्दी से बलराज के मुंह से बहते हुए खून को अपनी धोती के आंचल से पहुंचती है। बलराज को महसूस होता है, कि जैसे बबीता की मां की धोती का आंचल उसकी मां की धोती का आंचल हो। 

बलराज दम तोड़ते हुए महसूस करता है,  कि सब बच्चों की मां का आंचल सब बच्चों के लिएएक जैसा ही होता है। बलराज अपनी मां के बारे में सोचते सोचते बलराज की आंखें बबीता की मां के आंचल पर जाकर टिक जाती है। और बलराज कुछ पलके बाद दम तोड़ देता है।



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7 Comments

Vedshree

04-Dec-2022 07:53 PM

Behtarin rachana

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Gunjan Kamal

17-Nov-2022 02:11 PM

बहुत ही सुन्दर

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Rakesh rakesh

15-Nov-2022 12:29 AM

Bahut acchi kahani

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